मंगलवार, 10 मार्च 2009

इरोम शर्मिला….आयरन लेडी ऑफ मणिपुर.......

इरोम शर्मिला….आयरन लेडी ऑफ मणिपुर.......
बहुत दिनों से इंतज़ार था....सात मार्च का क्योंकि सात मार्च को ये फैसला होना था कि इरोम शर्मिला पर फैसला क्या आएगा....इरोम को शायद सभी जानते हैं.....क्योंकि मानवाधिकार कार्यकर्ता इरोम शर्मिला......पिछले नौ सालों से लगातार भूख हड़ताल पर बैठी हैं.....इंतज़ार सिर्फ इस बात का था......कि क्या उनकी ये भूख हड़ताल जारी रहेगी या फिर वो हिरासत में ही रहेंगी...क्योंकि इनकी न्यायिक हिरासत की अवधि खत्म हो रही थी.....इरोम के जज्बे को हम सभी सलाम करते हैं......इरोम शर्मिला साल 2000 से हड़ताल पर बैठी हैं.....उसके बाद से इरोम के गले में ना तो अन्न का कोई दाना उतरा है और ना ही पानी की एक भी बूंद.....यहीं नही वो अपने दांत साफ करने के लिए भी रुई का सहारा लेती है.......इरोम को ज़िन्दा रखने के लिए उनकी नाक के ज़रिए लिक्विड खाना दिया जाता है.....शायद किसी को ये एहसास भी ना हो कि बिना खाए-पिए इरोम की हड्डियां दिन ब दिन कमज़ोर होती जा रही हैं....क्योंकि वो सिर्फ इंजेक्शनों के सहारे ही ज़िन्दा हैं मुझे नहीं मालूम कि इरोम के इस जज्बे की कद्र कितने लोग करते है और कितने लोगों को उनके आन्दोलन के बारे में पता है......क्योंकि मैं भी उन्ही लोगों में से एक थी ...कुछ वक्त पहले तक.....जब एक पत्रिका के कवर पेज पर इरोम की तस्वीर देखकर अपने दोस्त से पूछ बैठी थी कि ये इरोम कौन है......मेरे दोस्त ने इतनी गंदी तरह देखते हुए कहा था......तुम इरोम को नहीं जानती......और वाकई इरोम को पढ़ने के बाद और सबकुछ जानने के बाद मुझे भी शर्म आई कि मैं अब तक क्यों नहीं जान पाई थी.....इरोम को तो आत्महत्या तक के प्रयास में गिरफ्तार किया जा चुका है.....मणिपुर में इरोम की पहचान आयरन-लेडी के रुप में है.......इरोम ने सेना के लिए लागू आफ्सपा कानून की आड़ में सैनिकों द्वारा कथित तौर पर किए जा रहे मानवाधिकार हनन के विऱोध में अपनी आवाज़ उठाई.....और दो नवंबर 2000 से अपनी भूख हड़ताल शुरु करदी जो आज तक जारी है...बिना अपनी ज़िदगी की परवाह किए.......

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